MANALI to RECKONGPEO HRTC BUS Timing – उदयपुर/मनाली-मण्डी-रिकांगपिओ

Via: Kullu-Mandi-Sundernagar-Rohanda-Karsog-Luhri-Rampur-Jeori-Tapri
UNIT: Keylong
CLASS: Ordinary

SCHEDULE:
•Manali (Dep.) 11:25 am
•Kullu (Dep.) 1:25 pm
•Mandi (Dep.) 3:40 pm
•Karsog (Arr.) 10:00 pm
•Rampur (Arr.) 2:00 am
•Reckongpeo (Arr.) 5:00 am

RETURN SCHEDULE:
•Reckongpeo (Dep.) 5:00 pm
•Rampur (Dep.) 9:30 pm
•Karsog (Dep.) 12:30 am
•Mandi (Arr.) 5:30 am
•Kullu (Arr.) 8:00 am
•Manali (Arr.) 9:30 am

KARSOG to HARIDWAR HRTC Bus Timing

•• KARSOG to HARIDWAR ••
Via: Churag-Tattapani-Sunni-Shimla-Solan-Chandigarh-Ambala-Saharanpur
UNIT:Karsog
CLASS: Ordinary

SCHEDULE:
•Karsog (Dep.) 11:30 am
•Shimla ISBT (Dep.) 6:40 pm
•Chandigarh-17 (Arr.) 10:30 pm
•Haridwar (Arr.) 3:30 am

REVERSE SCHEDULE:
•Haridwar (Dep.) 8:00 pm
•Chandigarh-43 (Dep.) 1:30 am
•Shimla ISBT (Dep.) 5:30 am
•Karsog (Arr.)- 11:00 am

HRTC SARAHAN to HARIDWAR

सराहन-शिमला-देहरादून-हरिद्वार (सतलुज-गंगा एक्सप्रैस)

•• SARAHAN to HARIDWAR ••

Via: Jeori-Jhakri-Rampur-Sainj-Narkanda-Theog-Shimla-Solan-Nainatikker-Nahan-PaontaSahib-Dehradun

UNIT: Rampur

CLASS: Ordinary

SCHEDULE:

•Sarahan (Dep.) 7:30 am

•Rampur (Dep.) 10:00 am

•Shimla (Dep.) 5:15 pm

•Dehradun (Arr.) 2:00 am

•Haridwar (Arr.) 3:00 am

RETURN SCHEDULE:

•Haridwar (Dep.) 10:30 pm

•Dehradun (Dep.) 12:10 am

•Nahan (Dep.) 3:30 am

•Shimla (Arr.) 8:30 am

•Rampur (Arr.) 2:00 pm

Igmc Hospital Shimla Langar

सरबजीत बॉबी IGMC शिमला के पास लंगर चलाते है । आज सुना पुलिस ने लंगर को बंद करवाया । इसमे जो भी शामिल है पुलिस अधिकारी या सरकार उसने बहुत घटिया काम किया है ।ऐसे लोगों को भगवान ही …….जिस लंगर में भरपेट रोटी खाते थे गरीब मरीज, प्रशासन ने खाली करवाया अवैध बताकर.

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Himachali Kale Chane ka Khatta | Himachali Mahani Recipe | Himachali Dham Recipe

How to make kale chane ka khatta – काले चणे पाणे सेड़ना कने फिरी लगाणा लोहे दी कडाहिया च कोड़े तेले दा तुड़का जीरा, सोंफ, बिण, लाल मिर्च, हींग, बेसन कने चोळा दे आते दा कने सोगी पाणा अमचूर फिरी दिखा क्या स्वाद ओणा भत्ते कने ता यह वीडियो दिखा कने कमेंट करी दसा कि काले चणया दा खट्टा या महाणी रेसिपी तुसां जो खरी लगी ?

लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे

हिमाचल में शादी विवाह के अवसर पर गीत गाने की परम्परा हमारे हिमाचल की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन गीतों के अभाव में विवाह के अवसर को पूर्ण नहीं माना जाता । हिमाचल में ऐसे अनेक लोक गीत प्रचलित हैं, जिन्हें विवाह के अवसर पर गाया जाता है। एक इस ही है यह गीत है जिसे दुल्हन की तरफ की औरतें दूल्हे के साथ आये बारातियों को यह गीत गा कर निशाना बनाती थी !!
लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, मुछां दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!
लाडे दा मामा गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, नके दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!

Lasoda ka Achar | लसोड़े का अचार | गुंदा का अचार | लसोड़े का अचार कैसे बनाते हैं

लिसयाडे हिमाचल की एक प्रसिद्ध सब्जी है और हिमाचल के अलग अलग भागों मे अलग अलग lasode ka achar

नाम से जाना जाता है | लिसयाडे का समय सिर्फ दो-तीन महीने ही होता है मई, जून और जुलाई | लीजिए आज हम आपके लिए लिसयाडे के आचार के रेसिपी शेयर करते हैं | ये आचार बड़ा ही स्वादिष्ट होता है| लसयाडे का आचार को आप बनाकर एक साल तक खाने के प्रयोग मे ला सकते हैं और बनाना भी आसान है |

लसयाडे का आचार बनाने की सामग्री-
1. लसयाडे – 500 ग्राम
2. हींग – 1/4 छोटी चम्मच से आधा
3. पीली सरसों – 3 छोटी चम्मच ( पिसी हुई )
4. सोंफ – 2 छोटी चम्मच ( पिसी हुई )
5. मेथी दाने – 1 छोटी चम्मच
6. अजवायन – 1/2 छोटी चम्मच
7. जीरा – 1/2 छोटी चम्मच
8. हल्दी पाउडर – 1 छोटी चम्मच
9. लाल मिर्च पाउडर -1 छोटी चम्मच
10. नमक – 2 छोटी चम्मच
11. सरसों का तेल – 100 ग्राम (आधा कप)
लसयाडे के आचार बनाने की विधि–
लसयाडे को डंठल तोड़कर अच्छी तरह 2 बार धो लीजिये. भगोने में आधा लीटर पानी ( इतना पानी लीजिये कि लसयाडे पानी में डूब जाय) भर कर गरम करें | जब पानी में उबाल आ जाय तो लसयाडे पानी में डाल दें | पानी में फिर से उबाल आने के बाद पांच मिनट ढककर कम गैस पर पकने दें फिर गैस बन्द कर दें|

लसयाडे का पानी निकाल दीजिये, और छलनी में रखकर अच्छी तरह पानी निकलने तक रख लीजिये, लसयाडे के अन्दर से गुठली निकाल लें. लसयाडे को 2 भागों में काट लें | आचार बनाने के लिये लसयाडे तैयार हैं |

कढाई में जीरा, मेथी के दाने, अजवायन और सोंफ डालकर हल्का सा भून लीजिये, मसालों को ठंडा करके मिक्सर में डालिये और साथ में, पीली सरसों, नमक और हल्दी डालकर दरदरा पीस लीजिये, कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिये, तेल को अच्छी तरह गरम होने के बाद, तेल में लसयाडे डाल दीजिये, पिसे मसाले, लाल मिर्च और हींग डालकर अच्छी तरह मिला दीजिये, गैस बन्द कर दीजिये |

लसयाडे का आचार (Lasude ka Achar) तैयार हैं | अचार को ठंडा करके किसी जार में रख दें | इस आचार को तैयार होने में 6-7 दिन लग जाते हैं | आचार को दिन में एक बार चमचे से ऊपर नीचे कर दें | आचार खट्टा और बहूत ही स्वादिष्ट होता है |अब इस आचार को खा सकते हैं |

आचार खराब होने से बचाने के लिये अचार में इतना तेल गरम करके ठंडा करके डाल दीजिये कि लसयाडे तेल में डूबे रहें. अब आप यह आचार साल भर तक कभी भी खाइये |

Sidh Baba Balak Nath ji Deotsidh Hamirpur Himachal Pradesh

बाबा बालकनाथ जी हिन्दू आराध्य हैं, जिनको उत्तर-भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश , पंजाब , दिल्ली में बहुत श्रद्धा से पूजा जाता है, इनके पूजनीय स्थल को “दयोटसिद्ध” के नाम से जाना जाता है, यह

JaiSidhBabaBalakNath

मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के छकमोह गाँव की पहाड़ी के उच्च शिखर में स्थित है। मंदिर में पहाडी के बीच एक प्राकॄतिक गुफा है, ऐसी मान्यता है, कि यही स्थान बाबाजी का आवास स्थान था। मंदिर में बाबाजी की एक मूर्ति स्थित है, भक्तगण बाबाजी की वेदी में “ रोट” चढाते हैं, “ रोट ” को आटे और चीनी/गुड को घी में मिलाकर बनाया जाता है। यहाँ पर बाबाजी को बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो कि उनके प्रेम का प्रतीक है, यहाँ पर बकरे की बलि नहीं चढ़ाई जाती बल्कि उनका पालन पोषण करा जाता है।

कलयुग में बाबा बालकनाथ जी ने गुजरात, काठियाबाद में “देव” के नाम से जन्म लिया। उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णो वैश था, बचपन से ही बाबाजी ‘आध्यात्म’ में लीन रहते थे। यह देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया, परन्तु बाबाजी उनके प्रस्ताव को अस्विकार करके और घर परिवार को छोड़ कर ‘ परम सिद्धी ’ की राह पर निकल पड़े। और एक दिन जूनागढ़ की गिरनार पहाडी में उनका सामना “स्वामी दत्तात्रेय” से हुआ और यहीं पर बाबाजी ने स्वामी दत्तात्रेय से “ सिद्ध” की बुनियादी शिक्षा ग्रहण करी और “सिद्ध” बने। तभी से उन्हें “ बाबा बालकनाथ जी” कहा जाने लगा।

बाबाजी के दो पृथ्क साक्ष्य अभी भी उप्लब्ध हैं जो कि उनकी उपस्तिथि के अभी भी प्रमाण हैं जिन में से एक है “ गरुन का पेड़” यह पेड़ अभी भी शाहतलाई में मौजूद है, इसी पेड़ के नीचे बाबाजी तपस्या किया करते थे। दूसरा प्रमाण एक पुराना पोलिस स्टेशन है, जो कि “बड़सर” में स्थित है जहाँ पर उन गायों को रखा गया था जिन्होंने सभी खेतों की फसल खराब कर दी थी, जिसकी कहानी इस तरह से है कि, एक महिला जिसका नाम ’ रत्नो ’ था, ने बाबाजी को अपनी गायों की रखवाली के लिए रखा था जिसके बदले में रत्नो बाबाजी को रोटी और लस्सी खाने को देती थी,Jai Sidh Baba Balak Nath

ऐसी मान्यता है कि बाबाजी अपनी तपस्या में इतने लीन रहते थे कि रत्नो द्वारा दी गयी रोटी और लस्सी खाना याद ही नहीं रहता था। एक बार जब रत्नो बाबाजी की आलोचना कर रही थी कि वह गायों का ठीक से ख्याल नहीं रखते जबकि रत्नो बाबाजी के खाने पीने का खूब ध्यान रखतीं हैं। रत्नो का इतना ही कहना था कि बाबाजी ने पेड़ के तने से रोटी और ज़मीन से लस्सी को उत्त्पन्न कर दिया। बाबाजी ने सारी उम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी महिला भक्त ‘गर्भगुफा’ में प्रवेश नहीं करती जो कि प्राकृतिक गुफा में स्थित है जहाँ पर बाबाजी तपस्या करते हुए अंतर्ध्यान हो गए थे।

कैसे पहुंचें बाबा के दर
धौलगिरी पर्वत के सुरम्य शिखर पर प्रतिष्ठित बाबा जी की पावन गुफा की जिला मुख्यालय से हमीरपुर से दूरी 45 किलोमीटर, शिमला से भोटा-सलौणी 170 किलोमीटर और बरंठी से शाहतलाई होते हुए 155 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से ऊना-बड़सर, शाहतलाई के रास्ते 185 कलोमीटर है। पठानकोट से कांगड़ा एनएच 103 के रास्ते 200 किलोमीटर है। ऊना तक अन्य राज्यों से रेलवे सुविधा उपलब्ध है। ऊना से दियोटसिद्ध तक 65 किलोमीटर का सफर सड़क से तय करना पड़ता है। दियोटसिद्ध के सिद्ध नगर की समतल तलहटी में सरयाली खड्ड के किनारे शाहतलाई नामक कस्बा स्थापित है। सिद्ध बाबा बालक नाथ जी दियोटसिद्ध में अपना धाम प्रतिष्ठित करने से पूर्व शाहतलाई की अपनी तपोस्थली व कर्मस्थली को लंबे अरसे तक रखा है। शाहतलाई जिला बिलासपुर में स्थित है जबकि दियोटसिद्ध जिला हमीरपुर में स्थित है। बिलासपुर से शाहतलाई से दूरी 64 किलोमीटर व दियोटसिद्ध पांच किलोमीटर है।

बाबा बालक नाथ जी भजन
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।
तेरा शाहतलाईयां डेरा ओ वावा कदों बुलावलेगा –2 ।।
इक चिमटा बनाया ओ बाबा तेरे नाम दा
ओ भी धुणें विच पाया ओ बाबा तेरे नाम दा
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।
इक झोली बनाई ओ बाबा तेरे नाम दी
ओ भी मुडे विच पाई ओ बाबा तेरे नाम दी
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।
इक रोट बनाया ओ बाबा तेरे नाम दा
ओ भी मंदिर चढ़ाया ओ बाबा तेरे नाम दा
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।

बाबा बालक नाथ जी भजन
जोगी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु, बाल मोर सवारी करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल, मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तुसा शक्ति दे अवतार, वेडे पार करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो ,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तेरी लीला अपरंपार, दुखड़े सबदे हरदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी संजो दियो चरणा दा प्यार, नित ना तेरा जपदे ओ ,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तेनु पुजे सारा संसार, झोलिया सबदी भरदे हो ,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!